तिमिर
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सदैव ही जिसके हृदय, होता प्रभु का वास।
ताप – तिमिर का तनिक भी, उसे नहीं आभास।। १।
पाप तिमिर सब मिट गया, फैला सत्य प्रकाश।
आततायी प्रकृति का, करके समूल नाश।। २।
प्रकाश से पहले तिमिर , फिर प्रकाश के बाद।
सुख चाहे दुख में रहो, इतना रखना याद।। ३।
? ? ? ? –लक्ष्मी सिंह ? ☺