“तितली”
तितली
तितली की है,पंख निराली;
तितली होती भोली-भाली।
उड़े ये, फूलों की हर डाली;
लगती खुशबू की मतवाली।
बागों में यह, यों मंडराती है;
जैसे,मालिन आती-जाती है।
ये होती है, बहुत रंग-बिरंगी;
फूलों की होती है , हमसंगी।
है इसकी भी, दुनिया अपने;
देखती है, ये भी कई सपने।
है यह,हर फुलवारी की शान;
कोई न करे, इसको परेशान।
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..✍️ प्राजंल
….कटिहार।