तितली हूं मैं
मैं घातक नहीं इस जहां के लिए।
न छेड़ती किसी की जिंदगी को,
न बांधों मुझे बेड़ियों से,
मासूम सी तितली हूं मैं।
प्रकृति की शोभा बढा़ती ,
रंग बिरंगे पंख है मेरे ।
फूलों की तरह नाजुक कली सी,
मासूम सी तितली हूं मैं।
उड़ती फिरती मस्त गगन में,
फूलों को महकाती चमन में।
न सताती किसी को ,
मासूम सी तितली हूं मैं ।
न किसी का खून मैं पीती ।
फूलों के मकरंद से मैं जीती।
न बांधों मुझे बेड़ियों से,
मासूम सी तितली हूं मैं।
डां. अखिलेश बघेल
दतिया (म.प्र.)