तितली रानी घर में आई ।
देख पुष्प पराग भरा कर परो पर मन मानी । देखो मेरे आगन में आयी कैसै तिल्ली रानी।। पंख पर झिलमिल रेखा बिन्दू बनी पानी सा देखा । लगती है नहाये हुए मानो हल्दी की रेखा।। लगते है पर नीले धानी।।। ,, ,,आयी कैसे तितली रानी।।।।।,,, नन्हा मुनहा में होता मेरे गमले पर मंडराती। मन करता पकड लूॅ रानी को उड जाऊ इनके संग में। । अगर पंख हो मेरे नानी।।।,, आयी कैसे तितली रानी।।,,, ,,,,, वन उपवन ऐ मंडराती। नित करती परिश्रम इतना।। पर अपनी धुन मे मतवाली हे रंग बिरंगे पंखो वाली।। नीली काली सफेद पीली पर धानी।।,,,आयी कैसे तितली रानी।। कभी ये मंडराती फूलो पर । एक फूल से दूसरे फूल पर ।। वृथ परिश्रम ये करती पर पर से अक॔षित करती ।।। कैसी हे ये जादूगरी और गुणवानी। ।,,,आयी कैसे तिल्ली रानी ,,, नन्हे मूनहे बच्चे पकडे इनको नही पकड में ये आती।।।। पर बच्चो को दूर दूर झंडी में भटकाती जैसे वे हाथ बढाते झट उड जाती। ।।।,,लगती नही दया बानी। ।,आयी कैसे तितली रानी।।।। चलती फिरती रहती ये। हे नही किसी पर उपकारी। । पर ये जादूगर की जादूगारी वृथ समय हमारा करवाती। । कैसी हम पे मोहनी डानी। ।,,आयी कैसे तितली रानी।।।,,,,,,, ,