तासीर शब्दों की
तासीर शब्दों की कभी नरम
तो कभी गरम होती है ।
कभी फूलों सी नरम
कभी लौहे की जंजीर होती है ।
फरक बस इतना है
नरमी इबादत की
गरमी बगावत की होती है ।
वरना क्या वजह है
एक शब्द सीतलता दे
और एक शब्द दिल मे चुभन ।।
तासीर शब्दों की कभी नरम
तो कभी गरम होती है ।
कभी फूलों सी नरम
कभी लौहे की जंजीर होती है ।
फरक बस इतना है
नरमी इबादत की
गरमी बगावत की होती है ।
वरना क्या वजह है
एक शब्द सीतलता दे
और एक शब्द दिल मे चुभन ।।