ताशीर
मैं उसमे रत, जो भारत है।
मेरा धर्म वही, जो धारत है ।।
है मृत्युलोक में, यह पुण्य लोक ।
जहां साथ चलें, सुख और शोक।।
अदभुत भौगोलिक स्थिति है।
पग पग पर विषम परिस्थिति है।।
कुछ पके अधपके मानव है।
कुछ दुष्ट कर्म से दानव हैं।।
पर रहते खाते अगल बगल।
होती रहती है उथल पुथल।।
लगता बसते बहु देश यहां।
कई धर्म रंग कई वेश यहां।।
भारत की बात जब आती है।
कर चलते चौड़ी छाती है ।।
चल पड़ते शौर्य दिखाने को।
अपना जी जान लुटाने को।।
ये बलिदानों से रक्षित है।
यह पूरी तरह सुरक्षित है।।
बलिदानी वीरों की जय होए।
भारत मां तेरी जय होए ।।
जय हिंद जय भारत