तालाब गहरे क्यों नही हैं
पहले जैसी बारिश सैलाब गहरे क्यों नही हैं
नदी नाले पट गये तालाब गहरे क्यों नही हैं
कौन लेकर उड़ गया खुशबू इन बागानों की
फीकी सी है चमेली गुलाब गहरे क्यों नही हैं
बदल लिया है मिज़ाज आते जाते मौसम ने
वो पहले जैसी सर्दी अलाव गहरे क्यों नही हैं
अब बरसता क्यों नहीं सावन शोर शराबे से
बारिश की बूदों में फुलाओ गहरे क्यों नहीं हैं
दरख्तों को झुलसा दिया है धुएं के गुबारों ने
पर रूह पर लोगों की घाव गहरे क्यों नहीं हैं
क्यों सावन में धूल जमी है बेलो के पत्तों पर
अब बेल के पत्तों के धुलाव गहरे क्यों नहीं हैं
मारूफ आलम