तारों का झूमर
तारों का झूमर
आज क्यों आसमाँ से
झील में उतर आया है
ठहरी हुई आँखों में मानो
इन आँखों ने एक आशियाँ
ख़्वाब का सजाया है ।
मेघों की ओट से
झाँकता हुआ चाँद
तारों की झिलमिल के स॔ग
यूं खुलकर खिलखिलाया है
मानो सितारों ने चाँद को
आज साहिल बनाया है ।
ज़िन्दगी की आँखों में
रख दिए थे कुछ
अनबूझे से ख्वाब
और चल दी थी ज़िन्दगी
कश्ती पर सवार ।
सुबकियां लेती हवाएँ भी
दे थपकी ज़िन्दगी को
सोहराती रही पलकों के रेशे सी
मानो ख़्वाबों के टुकड़ों को
सहेज रही थीं,
सँभालने कश्ती को
ये मखमली हवाएं
फरिश्ते लहरों के भेज रही थीं।
पतवार ख्वाबों की ले
लहरों ने कश्ती को
किनारे पहुंचाया है
और
रोशन हुआ है अंबर
इस धरा पर अगर
तो सितारों के झुरमुट ने
डगमगाती नैया को
रास्ता दिखाया है ।
————डॉ सीमा ( काॅपीराइट)