तारे बुझ गये फिर भी
तारे बुझ गये फिर भी
रौशनियां रौशन है
आसमाँ में,
इंसानियत मर गई
फिर भी
इंसां ज़िन्दा हैं
इस जहाँ में।
अर्चना मुकेश मेहता
तारे बुझ गये फिर भी
रौशनियां रौशन है
आसमाँ में,
इंसानियत मर गई
फिर भी
इंसां ज़िन्दा हैं
इस जहाँ में।
अर्चना मुकेश मेहता