तारीफ
अच्छी लगती है मुझको तारीफ मेरी सुनना,
चाहे दर्द मैं दू तुझको ,फिर भी तारीफ मेरी करना।
मैंने तुझको दर्द दिया तेरा अपमान किया,
तो क्या हुआ कोई तुझको सकून दे ,कोई तुझको सम्मान दे
फिर भी मेरे आगे तारीफ नहीं तू उसकी करना ।
मैं अच्छा हूं मैं बढ़िया हूं मैं ही तो सब कुछ करता हूं ,
बस तू यह बारंबार कहना
जो तारीफ नहीं तुम करोगे मेरी मैं लड़के करवाउगा,
नहीं खुशी से करोगे तो डरा के तारीफ करवाउगा।
मैं तेरा अपना हूँ, पर आइना ना मुझको दिखलाना,
खुद को गलत मुझे सही तुम कहती रहना तारीफ मेरी करते रहना।
भूल गए तुम एक बात, तारीफ जो पानी है ,
तो अपनों को सुख दो अपार।
वह खुद ही करेंगे तारीफ, देंगे दिल से आशीर्वाद।
झूठी तारीफ के पीछे क्यों भागे, डर के मारे करे जो तारीफ,
बाहबाह तुझे मिल जाएगी, पर यह सोच बंदे जो दुख देकर पाए तारीफ़,
उनकी दिल की आह तुझे कहां ले जाएगी।
द्बवेश भाव तज कर अपना कर्म कर ,
तारीफ पानी है तो सच्चे मन से अपनो का सम्मान कर।