तारीफ……. तुम्हारी
तेरी मेरी चाहत की तारीफ करते हैं।
सच और फरेब की सोच रहती हैं।
हां हमसफ़र से तारीफ करते हैं
बीते पल और लम्हों को याद करते हैं।
जवानी और बुढ़ापे की तारीफ में हम कहते हैं।
समय बीतता और बदलाव लेकर हम सोचते हैं।
जिंदगी के रंगमंच में तारीफ तो हम सभी करते हैं।
हकीकत के साथ हम सभी अपने रिश्ते बताते हैं।
तारीफ में हम सभी की अपनी अपनी समझ होती हैं।
आज आधुनिक परिवेश में हम सभी की एक सोच हैं।
हम सभी जीवन में तारीफ एक दूसरे की करते हैं।
हां सच तो यही हम सभी को सहयोग मिलता हैं।
चाहत मोहब्बत में हम सभी अपने की तारीफ करते हैं।
जीवन भर का साथ हमजोली बनकर संग निभाना हैं।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र