ताबीर तुम्हारे हर ख़्वाब की।
तुम्हारी प्यासी ज़िंदगी का समंदर बन जाऊंगा।
सांसे बन कर तुम्हारे इस दिल में धड़क जाऊंगा।।1।।
तू मुझको कभी अपना बनाकर देख तो सही।
बनके आब तेरी सेहरा जिंदगी में बरस जाऊंगा।।2।।
कर यकीं मुझ पर तुझको मायूस ना करूंगा।
तेरी हर रात का बनके महताब चमक जाऊंगा।।3।।
मेरे हर सज्दे में इक बस तेरा ही ज़िक्र होगा।
बनके रोशनी तुझमें मैं चराग सा जल जाऊंगा।।4।।
मैं कब से बंजर जमीं सा तन्हा तड़प रहा हूं।
साथ पाके तुम्हारा मैं फूल सा महक जाऊंगा।।5।।
तेरे हर दर्द को ही मैं खुद में जज़्ब कर लूंगा।
ताबीर तेरे हर ख़्वाब की मैं सच कर जाऊंगा।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ