ताण्डव
सनसनाती तेज हवाएं निरंतर तीव्र गति से बहने लगी बदलियों ने सुरज को अपने आगोश में ले अंधकार का साम्राज्य स्थापित कर दिया
बिजलियां भी अपने चरम आक्रोश के साथ शोर करते हुए कड़क कर चमकने लगी । बादल भी गड़गड़ाहट से घबराकर बरसने लगे । देखते ही देखते वातावरण अति भयावह लगने लगा ।
टीन टप्पर से बनी झोपड़ी की छत बड़ी मुश्किल से इस तूफ़ान का सामना करने की कोशिश में जगह जगह से टपक रही थी ।
लक्ष्मी दो साल की बेटी मुन्नी को गोद में लिए कोने में बैठ कर बारिश से बचने की नाकाम ही कोशिश में लगी हुई थी । तभी गड़गड़ाहट के साथ बिजली जोर से चमकी , मुन्नी घबराहट में चीखकर मां से चिपक गई । लक्ष्मी ने भी उसे बाहों में कस लिया । मदद के लिए आवाज लगाई मगर जवाब नहीं मिला शायद सब पहले ही जा चुके थे ।
दूर दूर तक अंधेरे के सिवा कुछ नजर नहीं आ रहा था । अंधेरे में कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था तभी लगा की नीचे ज़मीन में भी पानी भरने लगा तो उठ खड़ी हुई कुछ ही देर में पानी घुटनों तक आ गया । तभी महसूस हुआ मानों पैरों में कुछ लिपट गया हो एक हाथ में मुन्नी को गोद में पकड़े हुए दुसरे हाथ से हटाने की कोशिश की तो चीख निकल गई उसे दूर फेंका वो सांप भी डर कर भागते हुए पानी में गायब हो गया । तभी तेज हवा में छत भी उड़ गई । पानी की बौछार भी सीधे पड़ने लगी । मुन्नी को गोद में उठा कर खड़े रहने की वजह से थकान भी बढ़ने लगी । धीरे धीरे हिम्मत जवाब देने लगी । कदम लड़खड़ा गए
तभी कुछ आवाजें सुनाई दी और टार्च की रौशनी नजर आई ।चीख पड़ी बचाओ ~~~ और मुन्नी को गोद में लिए हुए ही बेहोश होकर गिर पड़ी ।
होश आया तो दिन निकल चुका था बारिश भी रुक चुकी थी दर्द के मारे कराह निकल गई । अचानक मुन्नी का ध्यान आते ही हड़बड़ा कर उठ बैठी । मुन्नी को बगल में सोए देख चैन की सांस ली आस पास में और भी कुछ लोग थे । जिन्हें बचाया लिया गया था । मगर जो थोड़ा बहुत सामान था घर के नाम पर जो झोपड़ी थी बहाव उन्हें बहा ले गया था । पर वो तैयार थी शुन्य से नई शुरुआत के लिए ।
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© गौतम जैन ®