ताकि गर्व हो आप पर सभी भारतीयों को !
ताकि गर्व हो आप पर सभी भारतीयों को !
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मुझे ये पता ही नहीं था….
कि तू , इतनी फ़िदा होगी !
अपनी अदाओं के जलवे….
तू बस, मुझपे ही लुटा देगी !!
तुझसे इक छोटी सी विनती है…
कि तू ज़माने की लाज रखना !
प्यार चाहे जितना भी बढ़ जाए…
तू बस, अपना लिहाज रखना !!
आज के बदलते नये ज़माने में….
प्यार का स्वरूप ही कुछ अलग है!
शरमा रही आज सभ्यता संस्कृति,
दिल में इक छोटी सी कसक है !!
काश, आज के ज़माने में भी….
पहले वाला वो प्यार जो होता !
कोई जान, कभी मेरे लिए भी….
अपने ख्यालों में तो थोड़ा जी लेता !!
प्यार भरा ये सुंदर सा सफ़र, हो सुहाना !
संग में हो , बीते कल का कुछ फ़साना !
गाते रहें हम , सदा नेह से भरा तराना !
लेकर, किसी का दिया हुआ नज़राना !!
प्यार करे स्थापित, सदा उच्च आदर्श को !
देखे सब प्यार भरी नज़रों से , अपनों को !
ना पनपने दें प्यार करके, कभी नफ़रत को !
दें भरपूर इज्ज़त सभी बड़े, सभी अपनों को !!
ना आहत होने दें, किसी की भावनाओं को !
किनारे कर दें, हर तरह की विडंबनाओं को !
ना ख़त्म करें , दिल में जागृत अरमानों को !
पर सदैव ज़िंदा रखें , अपने सुसंस्कारों को !
ताकि गर्व हो आप पर, सभी भारतीयों को !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 27-07-2021.
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