” ताक़त ना कमजोरी “
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क्या है ताक़त , क्या है कमजोरी ?
सबकी अपनी-अपनी है बोली ।
कभी बोलूं प्यार की बोली ,
कभी बोलूं लगे जैसे हृदय में गोली ।
न कोई ताक़त न मेरी कोई कमजोरी ,
जो हालात उसी में मैं खोयी ।
कभी चांदनी रात न सोयी ,
कभी आमावस रात मैं रोयी ।
भरू मैं खुशियों से सबकी झोली ,
जल जाऊ मैं जैसे दीप की ज्योति ।
किसे पता करता है ये हमजोली ?
जिसे मैंने अपनाया मैं उसी की होली ।
? धन्यवाद ?
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✍️ ज्योति ✍️
नई दिल्ली