तांका छंद- बक्सावाहा के जंगल
तांका छंद- बक्सवाहा के जंगल
1
क्यों काट रहे,
बक्सवाहा जंगल।
हीरे से पेड़,
कुछ करो शरम।
कुछ करो रहम।।
***
2
बदनसीबी पे,
बक्सवाहा जंगल।
आज है रोते।
राजनीति के बीज।
तुम क्यों रहे बोते।।
***
3
बने दुश्मन,
हीरे की लालच में।
अंधे होकर,
करते अमंगल।
काट रहे जंगल।।
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कवि- राजीव नामदेव “राना लिधौरी”
संपादक- “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष-म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष-वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
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