तहरीर तुम बना दो
* शब्दों की सुंदर तहरीर तुम बना दो *
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शब्दों की सुंदर तहरीर तुम बना दो,
हासिल हो मंजिल तदबीर तुम बना दो।
हाथों में बंधी बेड़ी खुली नहीं है,
बिगड़ी जो मेरी तकदीर तुम बना दो।
हर दर पर बेदर सा पर कभी न हारूँ,
दुश्मन जो काटे शमशीर तुम बना दो।
उड़ता ही जाऊं आकाश जो खुला हो,
जड़ को झट बाँधे जंजीर तुम बना दो।
मनसीरत ने जंग मे पीठ ना दिखाई,
हारे ना रण में बलवीर तुम बना दो।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)