दुश्मनों से गिला नहीं
लोग बेमौत मारे जा रहे हैं,
यहां आंकड़े सुधारे जा रहे हैं
बुलंद करते नारे जा रहे हैं
वो सब गम के मारे जा रहे हैं
तहज़ीब यहां मरती जा रही है
बच्चे पढ़ने तो सारे जा रहे हैं
यहां कोई तराशा जा रहा है
गुण किसी के निखारे जा रहे हैं
दुश्मनों से कोई गिला नहीं है
हम दोस्ती में मारे जा रहे हैं
बड़ों को तो यह भी गवारा नहीं
हम किनारे किनारे जा रहे हैं
क्या कोई चुनाव आने वाला है
हम इतना क्यों दुलारे जा रहे हैं