तस्सुवर की दुनिया
तस्सुवर की दुनिया , ख्वाबों ख्यालों की।
अलमस्त लोगों के अलमस्त सवालों की।
कोई तस्सुवर में मिले जाकर महबूब से
कोई बहता जाये संग किसी मंसूब से।
किसी को रहे तस्सुवर परवरदिगार का
कोई करे याद प्यार अपने प्यार का।
किसी को नींद नहीं ,किसी को ख्वाब नहीं।
किसी के सवाल बहुत ,किसी का जवाब नहीं।
तस्सुवर में दूर तलक हम सोच नामुमकिन
कभी ऐसे ही सोचते-सोचते निकल जाए दिन।
सुरिंदर कौर