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18 May 2023 · 1 min read

तस्वीर

तुम्हारी तस्वीर से झांकती आंखों ने
तोहफा जो मांग लिया हमसे आज
मुस्कुराकर पलकें झुका कर नजर
कर दिया पूरा नगमा तुम्हें।

वह तुम्हारी तस्वीर के कांच पर
ठहर गए थे अल्फाज़ जब
और मुस्कुराए तुम्हारे लब
हमें शरारत से छेड़ कर।

“कैसे पहुंचाओगी मेरा तोहफा मुझ तक”

रूठकर मेरी नज़र आसमान तक हो आई
मांग आसमान से बादल का टुकड़ा ले आई
और कुछ अल्फाज़ लिखे बादल पर
और आसमां में उड़ा आई

कुछ अहसास उड़ेल दिए
कागज़ की कश्ती बना कर
आंखों के झरने संग पानी में तैरा आई।
नज़र मेरी भी कुछ कम न थी

उलझ गई हवाओं से कि उड़ा ले जाओ
बादल को वहां
रुख लहर का कर दो उधर
कि जहां तुम इंतजार में हो।

तुम एक मांगो तोहफा
हम हजार नज़र कर देंगे
बस कि तुम जी उठो,❤️
मुस्कान में हमारी
हम दुनिया को खबर कर देंगे।

© डॉ सीमा

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