तस्वीर
दिखती है जो बात तस्वीर में ,
पर नज़ारा तो कुछ और है ।
अदाएं कुछ ,अंदाज़े -बयां कुछ ,
सारा फ़साना कुछ और है ।
तस्वीर तो एक ही है मगर,
इसके पहलु कुछ और है।
शक्ल में ,और सीरत में ,
छुपे राज़ कुछ और है।
दुनियां जो देखती है ,वोह
मुझे जो दिखता कुछ और है।
है कोई बात इस तस्वीर में ज़रूर ,
मेरा नजरिया कहता कुछ और है।
कैसे दिखायुं मैं इसका असली रूप ,
हरपल रंग बदलता ऐसा इसका रुख है।