तस्वीर जिन्दगी की
बनाती है
माँ
ख्वाबों में
एक सुन्दर
तस्वीर
होता है
शिशु जब
गर्भ में
कागज
दिखा कर पूछा
उसने
कौन है इसमें
कहा मैंने
जब है तस्वीर
दिल में
उसे कागज पर
उतारा नहीं करते
तकदीर से
नहीं बदलती
तस्वीर
किसी की
होता है वहीं
जो देता मौला
जिन्दगी में
मेहनत से
बदलती है
तस्वीर
जिन्दगी की
मुखौटों से
होता नहीं
कुछ जिन्दगी में
है
जिन्दगी में खेल
तस्वीर
का ऐसा
होता नहीं वो
दिखता जैसा
खाओ मत धोखा
तस्वीर के बहाने
आ जाते है बहुत
बहलाने
तस्वीर के बहाने
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल