तवायफ
किस रिश्तों ने नही किया शर्मसार
ऐसा कौन नहीं, जिसने न किया हो प्यार ।
जलती हुई वफा हूँ,
लवारिस तकदीर का
कैसी दिलदार हूँ ,
अपने नसीब का ।
खिताब मिला रात- रानी , ओ दिल रानी का ।
रात तो काली होती है, अँधेरों की ,
मेरी तो बात कहने – सुनने वाले दोनों
इज्जत वाले होते हैं । उजाले के होते हैं।
नफरत वालों ने भी छिपकर हमें प्यार किया ।
यही मेरे रौशन को रौशनदान देते हैं।
क्योंकि यहीं सुरक्षा का यही इंतजाम करते हैं।
लम्हों के पर में बिखेरती भावना, अपने लिए ही लुटाया कामना,
कहाँ लुटने की नफरत थी I _ डॉ. सीमा कुमारी , बिहार (भागलपुर )।