तल्खिय़ां
सच है कल सब मर जायेंगे दो हिचकियां लेकर!
लेकिन जिंदा हैं सब ज़िंदगी की तल्खिय़ां लेकर!
सुकूं की छाँव मिल जाये तो डेरा डाल देंगे सब!
यूँ ही बंजारे सा फिरते हैं गमों की गठरियां लेकर!
✒ Anoop S.
10 April 2018
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