तलाश
*********** तलाश **********
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तेरी तलाश में थक कर हम चूर हुए
ढूंढ ना पाए तो रोने को मजबूर हुए
करते रहेंगे हम दिन रात तेरी तलाश
तेरी यादों के जख्म अब नासूर हुए
नहीं छोड़ी हमने तुम्हें पाने की आस
तुम्हें मिलने के ख्वाब चकनाचूर हुए
ख़ता हमारी आँखे क्यों मशगूल हुई
बिना बताए क्यों आँखों से दूर हुए
जब से तुम दिल को हो कबूल गए
तुम हमारे तब से दिल के हुजूर हुए
मनसीरत राहों में है खड़ा सूख गया
न जाने क्या अंजाने में है कसूर हुए
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)