तलाश
मेरे कांपते होठों ने बेख्याली में कई बार तेरा ही नाम लिया
तू जुदा सा था इस लिए शायद दिल ने तुझे अपना मान लिया !
…सिद्धार्थ
२.
औरतों का कहीं घर नही होता
कोई अपना सा दर नही होता !
…सिद्धार्थ
***
हर कोई कुछ तलशता दीखता है मुझे इस दहर में
सब का अपना कुछ न कुछ खोया है इस शहर में !
…सिद्धार्थ