तलाश तू जारी रख, -‘ लक्ष्य’।
रुक मत ठहर मत,
तलाश तू जारी रख,
मूरत नहीं माटी का तू ,
एहसास खुद में जारी रख।
हारना कोई गम नहीं,
जीतने से कम नहीं,
ढाल है विश्वास रख,
तू किसी से कम नहीं ।
जीत है तू जिंदा है,
हारना अब सीख मत,
त्याग दे भय की डगर,
उद्देश्य अब तू कम न कर,
लक्ष्य है तेरा वक्त है,
मेहनत तू कम न कर,
मंजिलें चींख कर,
पुकारती है लक्ष्य अब ।
प्राण तुझमें कम नहीं,
आत्मबल संयम है यही,
कार्य कर हिचक नहीं,
हारना तेरे वश में नहीं ।
साधना अब लक्ष्य यहीं,
जोश तुझमें कम नहीं,
रक्त है जो बह रहा,
भटक नहीं लक्ष्य है खड़ा ।
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*बुद्ध प्रकाश;
** मौदहा हमीरपुर।