तलाश जिन्दगी में
दिनांक 17/6/19
छंदमुक्त
तलाश है
जिन्दगी
का नाम
गुजर जाती है
जिन्दगी
ढूंढते मुकाम
मन भरता
नहीं कभी
दौलत,
शौहरत से
जानता है
रह जाएगा
यहीं सभी
भटक गया है
आज इन्सान
तलाशता
रहता है
सुख चैन
ता जिन्दगी
भूल गया है
वो
धर्म ईमान
गर रहेगा
वो इज्जत से
समाज में
पाऐगा वो
हमेशा मान
प्रेमी को
तलाश रहती है
अपने प्यार की
चकवा ,
तलाशता है
अपने प्यार को
उम्मीद पर टिकी
है जिन्दगी ये
गर हो गया
सफल वो
है दुनियां का
किस्मतवाला वो
कभी खत्म
होती नहीं
तलाश
जिन्दगी में
चलायमान
रहती है
जिन्दगी
तलाश में
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल