तलाश अभी जारी है
सोलहवीं लोकसभा के चुनाव आ गये। नेता अपने घर से निकल कर मंचो पर सजने लगे हैं।उनकी इन बातों से उपजी यह कविता:-
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तलाश जारी है
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पाँच बरस बीत गये
देखते ही देखते
घोषणायें अब भी
जारी है
बहुत हुये
बहस मुबाहसे
गाली गालौच
अब भी जारी है
हो गई राजनीति
साफ़ सुथरी
कीचड़ उछलना
अब भी जारी है
बहुत हुये
आरोप प्रत्यारोप
सच क्या है?
खोज अब भी
जारी है
है सूरज भी निकला
है धूप भी खिली
उजालों की तलाश
अब भी जारी है
अभी तो बिसात
बिछी है
हर चाल की काट
अब भी जारी है
लूट लिया अंतिम
चीथड़ा तन का
नोचना उसके मन का
अब भी जारी है
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राजेश’ललित’शर्मा
स्वलिखित
15-3-2019