तलाक लेना देना है गलत
-तलाक लेना-देना है गलत
होता है साथ जन्मों का पावन बंधन
उम्र भर निभाने की लेते है जब कसम
रस्मों मंत्रों से होता शुभ विवाह सम्पन्न
अच्छा खासा चलता है दाम्पत्य जीवन
न जाने कहां से आ जाता ‘मै’ का कण
बिखर जाता हंसता-खेलता घर आंगन
तलाक की नौबत से टूटता पवित्र सम्बन्ध
पाश्चात्य चकाचौंध का होता शायद असर
कारण एकल परिवार और वही अकेलापन
सुहाता नही किसी का टोका टोकी दखल
अंत: कटोचता रहे मानव मन को हर पल
रे मानव ! धीर धर कर कुछ तो समझ
अपने बड़ों से सीखो जीवन जीने मंत्र
भ्रांतियों को मत बना निज मन घर
एक-दूजे के लिए जो बने हो तुम कल
आज निज स्वार्थ से ही हो रहे हो अलग
तलाक-तलाक का क्यों खिला रहे कमल
अलगाव पंक में क्यों फंसा रहे अपने कदम
भावनाओं को समझ मन-तन में रख संयम
नर और नारी दोनों आपस में करो इज्जत
जरा सी बात पर तलाक लेना,देना गलत।
-सीमा गुप्ता, अलवर राजस्थान