“तर्पण”
“तर्पण”
विदा हुए जो इस संसार से ,
पितृ पक्ष में जलांजलि देकर,
करते हैं हम तर्पण।
श्राद्ध कर्म के द्वारा ,
पितरों को जल देकर ,
तिल जवां पुष्प चावल अर्पण।
नक्षत्रों से उतर आये जो पूर्वज ,
पितृ हमारे इनसे मिलता वरदान ,
पथ उनका ये जीवन काज समर्पण।
श्रद्धा भक्ति से शीश झुकाते ,
पुरखों का आशीष पाते ,
सुख संपत्ति भरपूर भरे ,
आनंद उपजे कष्ट दूर करे।
पितरों के आशीष से फले फुले ,
ये जीवन संसार ,
भूल चूक जो सब क्षमा कर,
चरण स्पर्श श्रद्धा सुमन अर्पण।
शशिकला व्यास शिल्पी✍️🙏