*तरु की टूटी टहनी टहनी*
तरु की टूटी टहनी टहनी
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तरु की टूटी टहनी टहनी,
हो गये हम सब पत्ते पत्ते।
एक हवा के झोंके से हम,
बिखर गये हम पत्ते पत्ते।
वर्षा की आई शीतल बुंदे,
निखर गये हम पत्ते पत्ते।
फल फूलों से लथ पथ हैँ,
पीत वर्ण में हम पत्ते पत्ते।
मनसीरत पतझड आया,
गिरे टूटकर हम पत्ते पत्ते।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)