तरीका
आज पांचवां दिन था मुझे चक्कर काटते हुए। केवल एक छोटा सा काम करवाने के लिए कई बातें सुननी पडी थी। आफिस वाले कभी कहते कि अभी टाइम नहीं है, कभी कहते कि लंच हो गया है या काम ज्यादा है का बहाना बनाकर टालते रहते। थकाहारा जब मैं पास की दुकान पर हाथ में फाइल लिए बैठा चाय पी रहा था तो उस दुकान के मालिक ने मेरी परेशानी का कारण पूछा। जब मैंने उसे अपनी परेशानी से अवगत कराया तो वह बोला, “वाह साहब, काम करवाने का आपको ‘तरीका’ मालूम नहीं है? मैं आपको एक अचूक शस्त्र बताता हूँ जिसका प्रयोग आप करना। बस, काम हो जाएगा।”
मैं वहाँ से उठकर सीधे आफिस के अंदर प्रवेश कर गया। जाते ही मैंने उस शस्त्र का प्रयोग किया। पहले नमस्ते और फिर चाय पानी का प्रबंध। निशाना ठीक बैठा। करीब आधे घंटे बाद मेरी नजरों के सामने फाइल थी जिसे मै लेकर चक्कर काट रहा था।
अशोक छाबडा
01111992