तराना
भूल सकते है नही
कोई तराना आपका ।
दर्दे गम की दास्तां है
हर तराना आपका ।।
तन्हा तन्हा कट नही सकता
सफर जज्बात का ।
हम को शायद साथ देदे
एक तराना आपका ।।
तप रही है जेठ सी अब
जिन्दगी की हर गली ।
काश!ठण्डी छाँव बनता
एक तराना आपका ।।
दर्दे गम कहते सुनाते
कट गया इतना सफर ।
अब रुलाये या हंसा दे
वो तराना आपका ।।
हर सुबह के बाद आती
शाम ये दस्तूर है ।
सुख का सागर गम का दरिया
है तराना आपका ।।
सुनील सोनी”सागर”
चीचली