“तराना “
“तराना”
फुर्सत के पलों में बैठे हुए ,वो साज छेड़े तराना।
जीवन की बगिया फूलों सी महके ,
मरुस्थल सूना सा बना हुआ ,फूलों की सुगंध से महकाना।
नील गगन की छांव में ,अनगिनत तारों के संग मन बहलाना।
सतरंगी बहारों में झूमें गायें,
बीत गया सदियों जमाना।
छेड़े गीत नये तरानों के संग ,मिलकर परिवार सुहाना।
प्रेम तरंगों के साथ हॄदय स्पंदन ,
मीठी यादों का गुजरा जमाना।
अतीत प्रेम रिश्तों की अटूट विश्वास ,
खुशहाली में समय गुजारना।
शशिकला व्यास