$तराना मैं लिखूँ ऐसा- विधाता छंद
#विधाता छंद
विधाता छंद में चार चरण होते हैं। इसके प्रत्येक चरण में 28-28 मात्राएँ होती हैं। प्रत्येक चरण में यति14 -14 मात्राओं पर होती है। हर चरण की 1, 8,15, 22 वीं मात्राएँ लघु (1)होती हैं। विधाता छंद को शुद्धगा भी कहते हैं।
मापनी- 1222 1222, 1222 1222
#तराना मैं लिखूँ ऐसा
तराना मैं लिखूँ ऐसा, सुने जो झूम वो जाए।
लबों पर बोल हों मेरे, जिन्हें हर रूह से गाए।।
अमर लय ताल शब्दों की, जगह दिल में बनाएगी।
रिझाकर ज़िंदगी यारों, तुम्हें पलपल हँसाएगी।।
मुसीबत लाख आ जाएँ, सभी को मैं हरा दूँगा।
हृदय से ठान लूँगा जो, उसे अपना बना लूँगा।।
चुरालूँ आँख का काजल, क़सम दिल जीत हर पाए।
रखूँ हर शौक़ का मौसम, नज़र हर मीत ही आए।।
बनूँ आवाज़ हारों की, यही है ओज अभिलाषा।
लिखूँ मैं गीत पत्थर पर, सिखाऊँ प्रेम की भाषा।।
वही हो कर्म मनहर जो, उचित हरपल असर लाए।
मुसाफ़िर एक वह होता, जिसे मंज़िल सफ़र भाए।।
#आर.एस. ‘प्रीतम’