तरसते नैना
घुमड़ घुमड़ बरसते नैना !
देखन को तुम्हे तरसते नैना !
हो गए हैं कितने बावरे से ,
कभी रोते कभी हँसते नैना !
उछलते फिरते हैं खुशी से,
सुन तेरा नाम हर्षते नैना !
कैसे भूल जाऊँ मै तुमको
तुझमे ही मेरे बसते नैना !
तेरे प्यार में पागल होकर
यादों के जाल में फ़ंसते नैना !
“देव” कर कर याद तुमको
आठों पहर तड़फ़ते नैना !
___ त्रिदेव दुग़्गल “अन्नू”