तरवर
मैं तेरे मुहरों में से एक नहीं,
कुहरे में छुप जायें वो
दरख्त नहीं,
मेरी मौजूदगी ही काफी है
देते रहेंगे जो मिला है,
छाँव, पुष्प, फल और समूल.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस
मैं तेरे मुहरों में से एक नहीं,
कुहरे में छुप जायें वो
दरख्त नहीं,
मेरी मौजूदगी ही काफी है
देते रहेंगे जो मिला है,
छाँव, पुष्प, फल और समूल.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस