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26 Oct 2022 · 2 min read

तम भरे मन में उजाला आज करके देख लेना!!

तम भरे मन में उजाला आज करके देख लेना!!
_________________________________________
तम भरे मन में उजाला आज करके देख लेना,
उत्सवों के दौर जीवन से कभी फिर कम न होंगे।।

द्वेष ईर्ष्या लोभ लालच
कर रहे उर को कलंकित ,
ऐषणा तन मन नयन को
नित्य ही करती प्रलोभित।
दम्भ जीवन में हमारे
है बना सरपंच जैसा,
गाद से पूरित हृदय है
गात को करते सुशोभित।

दर्प को अधिरथ बना हम चल पड़े जीवन डगर में,
आचरण ऐसा रहा फिर हम रहेगा हम न होंगे।
तम भरे मन में उजाला आज करके देख लेना,
उत्सवों के दौर जीवन से कभी फिर कम न होंगे।।

दीप का यह पर्व पावन
राम को यदि है समर्पित,
त्याग की आकृति बनो फिर
जिंदगी खुशहाल होगी।
लोभ – लिप्सा को जलाओ
आज मन से वर्तिका में,
धार लोलुपता चले फिर
जिंदगी बदहाल होगी।

राम से व्यवहार सिखों नित्यचर्या राम जैसी,
क्षिप्र अंतस् में उजाला और किंचित तम न होंगे।
तम भरे मन में उजाला आज करके देख लेना,
उत्सवों के दौर जीवन से कभी फिर कम न होंगे।।

प्रेम हो समभाव मन में
और हो यह धर्म में रत,
राम फिर आकर बनेंगे
मान लो निश्चित अधिरथ।
हो दया का बोध मन में
कर्म हो सत्कर्म सुंदर ,
सार्थक जीवन वहीं है
और मनु मन शुद्ध तीरथ।

राम का पर्याय बनना है कठिन लेकिन सरलतम,
धर्म को हिय धार चलना नैन फिर कभी नम न होंगे।
तम भरे मन में उजाला आज करके देख लेना,
उत्सवों के दौर जीवन से कभी फिर कम न होंगे।।

✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा मंशानगर
पश्चिमी चम्पारण
बिहार

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 373 Views
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