तमाम लोग ही दुश्मन की तरह देखते हैं तुम्हें।
तमाम लोग ही दुश्मन की तरह देखते हैं तुम्हें।
अपने राह का और एक, कांटा मानते हैं तुम्हें ।
साफ कर सको अपनी राह तो निकलना यारो।
किसी बहकावे में आकर नहीं फिसलना यारो।
इसी तरह सफर तय किए जाने की परंपरा है दोस्त।
जिंदगी कुछ नहीं, सपने में दिखी अप्सरा है दोस्त।
खुद पर इतबार रखना तभी चल सकोगे तुम।
खुद पर भरोसा करोगे जंग हार जाओगे तुम।
तमाम तलवारों के बीच ढाल बनकर है रहना।
हर टूटे रास्ते पे अडिग डग रखकर है चलना।
सारे लोग तुम्हें लेंघी लगा, सफर से पहले गिरा,
आगे बढ़ जाएंगे मित्र तुमको रुलाकर और चिढ़ा।
सफर पे निकलने से पूर्व पैर, पत्थर बना लेना।
पथ पर चलते हुए व मन प्रस्तर का बना लेना।
—————-30/9/21—————————–