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3 Aug 2024 · 1 min read

तमाम रातें तकतें बीती

तमाम रातें तकतें बीती
कहीं किसी को खबर नहीं है
जो न होती हमारी सरगम
साँसों का फिर सफर नहीं है।
हालात सारे कह रहे हैं
कहीं किसी को खबर नहीं है।।
नाते, रिश्ते, प्यार मोहब्बत
इनकी भी अब लहर नहीं है।।

सूर्यकांत

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