तमाम बातें मेरी जो सुन के अगर ज़ियादा तू चुप रहेगा
तमाम बातें मेरी जो सुन के अगर ज़ियादा तू चुप रहेगा
सुकूत मैंने रखा लबों पे तो बे-तहाशा तू चुप रहेगा
ये सब्र मेरा है टूटने को तू और मेरा न इम्तिहाँ ले
जवाब दे कुछ क़सम तुझे है बता दे कितना तू चुप रहेगा
मिज़ाज तेरा ये सूफ़ियाना अगर मुझे भी जो रास आए
फिरूँ मैं हो के तेरी ही जैसी तू क्या कहेगा तू चुप रहेगा
बहे न दरिया न सब्ज़ शाखें दरख़्त सूने उजाड़ जंगल
बता मुझे अब यूँ छोड़ तन्हा हयात-अफ़्ज़ा तू चुप रहेगा
हज़ार आफ़त मेरे है सिर पर हज़ार तोहमत वफ़ा पे मेरी
सिमटने को है वजूद मेरा मेरे ख़ुदा क्या तू चुप रहेगा
– मीनाक्षी मासूम