Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Oct 2021 · 1 min read

तमाम उम्र तितलियों से ज़ख्म खाया है ।

एक शायरी देखिए

वो तो पत्थर पे भी उन्वान ए शजर कर देगा
सुना है इश्क़ से उसने ये हुनर पाया है।।

अपने दामन में गुलाबों को जगह दूं कैसे।
तमाम उम्र तितलियों से ज़ख्म खाया है ।

मतला एक शेर देखिए

हमने ग़म की भी बिजलियां देखी।
तेरे उल्फत के दरम्यां देखी।

खौफ़ खाता हूं तब तो फूलों से
जबसे कातिल सी तितलियां देखी।

©®दीपक झा रुद्रा

दीपक झा “रुद्रा”

Language: Hindi
Tag: शेर
254 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
International  Yoga Day
International Yoga Day
Tushar Jagawat
बुढ़ापा अति दुखदाई (हास्य कुंडलिया)
बुढ़ापा अति दुखदाई (हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
जिंदगी जिंदादिली का नाम है
जिंदगी जिंदादिली का नाम है
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
यहां ज्यादा की जरूरत नहीं
यहां ज्यादा की जरूरत नहीं
Swami Ganganiya
मरना क्यों?
मरना क्यों?
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
*.....उन्मुक्त जीवन......
*.....उन्मुक्त जीवन......
Naushaba Suriya
3412⚘ *पूर्णिका* ⚘
3412⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
माला फेरें राम की,
माला फेरें राम की,
sushil sarna
शीर्षक - हैं और था
शीर्षक - हैं और था
Neeraj Agarwal
अनुभूति
अनुभूति
Shweta Soni
हर बात को समझने में कुछ वक्त तो लगता ही है
हर बात को समझने में कुछ वक्त तो लगता ही है
पूर्वार्थ
रमेशराज के कुण्डलिया छंद
रमेशराज के कुण्डलिया छंद
कवि रमेशराज
जब मायके से जाती हैं परदेश बेटियाँ
जब मायके से जाती हैं परदेश बेटियाँ
Dr Archana Gupta
प्रद्त छन्द- वासन्ती (मापनीयुक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- गागागा गागाल, ललल गागागा गागा। (14 वर्ण) अंकावली- 222 221, 111 222 22. पिंगल सूत्र- मगण तगण नगण मगण गुरु गुरु।
प्रद्त छन्द- वासन्ती (मापनीयुक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- गागागा गागाल, ललल गागागा गागा। (14 वर्ण) अंकावली- 222 221, 111 222 22. पिंगल सूत्र- मगण तगण नगण मगण गुरु गुरु।
Neelam Sharma
लोग जाने किधर गये
लोग जाने किधर गये
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
तन्हाई को जीते जीते
तन्हाई को जीते जीते
हिमांशु Kulshrestha
त’आरूफ़ उसको
त’आरूफ़ उसको
Dr fauzia Naseem shad
😢बड़ा सवाल😢
😢बड़ा सवाल😢
*प्रणय*
इश्क बेहिसाब कीजिए
इश्क बेहिसाब कीजिए
साहित्य गौरव
*हिंदी तो मेरे मन में है*
*हिंदी तो मेरे मन में है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सुबह सुबह का घूमना
सुबह सुबह का घूमना
जगदीश लववंशी
मनमाने तरीके से रिचार्ज के दाम बढ़ा देते हैं
मनमाने तरीके से रिचार्ज के दाम बढ़ा देते हैं
Sonam Puneet Dubey
यूँही चलते है कदम बेहिसाब
यूँही चलते है कदम बेहिसाब
Vaishaligoel
सर्दी के हैं ये कुछ महीने
सर्दी के हैं ये कुछ महीने
Atul "Krishn"
नर नारायण
नर नारायण
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ये ज़िंदगी डराती है, डरते नहीं हैं...
ये ज़िंदगी डराती है, डरते नहीं हैं...
Ajit Kumar "Karn"
सदा दूर रहो गम की परछाइयों से,
सदा दूर रहो गम की परछाइयों से,
Ranjeet kumar patre
दिल में बसाना नहीं चाहता
दिल में बसाना नहीं चाहता
Ramji Tiwari
"अन्तर"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...