तमाम आरजूओं के बीच बस एक तुम्हारी तमन्ना,
तमाम आरजूओं के बीच बस एक तुम्हारी तमन्ना,
तुम मानो या न मानो हक़ीक़त है यही बस।
निःस्वार्थ निश्छलता स्नेह भरा मन,
तेरा एहसास रुबरु है मेरे हर पल।।
न समझो तुम तो मुझे गिला नहीं,
पर मेरे दिल में तुम ही हो हर पल।।