तमस अमावस का घिरा, रूठा उजला पाख।
तमस अमावस का घिरा, रूठा उजला पाख।
चोर उचक्के घूमते, गिरी निशा की साख।।
आज अमा की रात है, गुमसुम है आकाश।
निकला चंदा सैर पर, ले मासिक अवकाश।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
तमस अमावस का घिरा, रूठा उजला पाख।
चोर उचक्के घूमते, गिरी निशा की साख।।
आज अमा की रात है, गुमसुम है आकाश।
निकला चंदा सैर पर, ले मासिक अवकाश।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद