तमन्ना
वही पाते यहाॅं पर हम,जिसे हरदम लुटाते हैं।
अगर चाहत रहे कोई,वही भरदम जुटाते हैं।
वही लिखते मिटाते है,तमन्ना गर रहे कोई-
अमर होते जमाने में,वही पागल कहाते हैं।।
वही पाते यहाॅं पर हम,जिसे हरदम लुटाते हैं।
अगर चाहत रहे कोई,वही भरदम जुटाते हैं।
वही लिखते मिटाते है,तमन्ना गर रहे कोई-
अमर होते जमाने में,वही पागल कहाते हैं।।