तमन्ना
दुनिया दर्दों की इक रवानी है
हँस कर उम्र फिर भी बितानी है।
दे दो मुस्कान तुम उस लब को भी
जिसकी रोती – सी ज़िन्दगानी है।
बन जा लाठी तू बे सहारों की
जो कि दुखों की ही खुद कहानी हैं।
जिनका यारा है ग़म सदा से ही
यारी खुशियों से भी करानी है।
सेजें फूलों पे तो बहुत सजतीं
मखमल काँटों पे भी बिछानी है।
उगते आए हैं गुल खियाबां में
सहरा में हरियाली सजानी है।
हलचल है ख़्वाबों के समंदर में
मौजें साहिल की ही दिवानी हैं।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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