#तमन्ना है सरफरोशी की#
तमन्ना है सरफरोशी की,
शमाँ को दिल में जलने तो दो।
बुझने न पाए लौ कभी,
उस परवाने को मचलने तो दो।।
रेशा-रेशा पिघलता है तो पिघलने दो,
हर कतरे से वतन के नौवजवाँ निकलेंगे।
निशार-ए-वतन खुद को करने की जिद है
तो अब कोई क्या रोकेगा मुझे।
अब तो एक मरेंगे सौ निकलेंगे,
हाथ में तिरंगा लहरने तो दो।
मेरे कदमों के निशां को कभी मिटने मत देना यारों।
इनको देखके ही न जाने,
कितने और कारवां निकलेंगे।
जीत की दहलीज़ पे खडा हूँ।
वो नब्ज़ भी मुझे मिल गई है,
रूको ज़रा मुझे टटोलने तो दो।
तमन्ना है सरफरोशी की शमाँ को
दिल में जलने तो दो।
बुझने न पाए लौ कभी ,उस परवाने
को मचलने तो दो।।
सीना छलनी होता है तो आज हो जाने दो।
हंस के मरेंगे, दुश्मनों को तहस-नहस करके मरेंगे।
डरेंगे न आज इन फिरकापरस्तों से।
हर हाथ में मशालें जला के निकलेंगे।
इन सर्द हवाओं से कह दो,कफन बाँध चुके हैं,
मौत से अब नहीं डरना।
अपना तन भी बर्फ में जमा के निकलेंगे।
मेरी साँसें रूक भी गई तो कोई गम नहीं,
जिन दुशमनों को दबोच लिया है,
उनकी सांसें ज़रा उतरने तो दो।
तमन्ना है सरफरोशी की शमाँ को
दिल में जलने तो दो।
बुझने न पाए लौ कभी ,उस परवाने
को मचलने तो दो।।
Lyricist :- Nagendra Nath Mahto
17/June/2021
मौलिक व स्वरचित रचना।
स्वरचित कवि व गीतकार:-Nagendra Nath Mahto.
Copyright:-Nagendra Nath Mahto.