तमन्नाएँ
शोले भड़कते अन्तस में
लगता है जैसे
चिंगारी देने को कोई
तूफाँ आया है
मन की भित्तियों से एक
आवाज आती
शायद दिल दर्पण टूट के
चूर हुआ है
गुलदस्ता तमन्नाओं का
सजाया हसीँ
उगे फूल कामेच्छाओं
के रंगीन
सींचना चाह उन्हें मैनें
प्रेमावेग से
आ गई सुनामी लहरें
तोड़ गई वो तट मेरे
हृदय तल के
प्यार नाम है पाने का
मन प्रसून
मेरा विकल कुम्हलाया
है क्यों
लगता है गुलिस्तां मैने
सजाया
तमन्नाओ का सँजो कर
चूर हो गया