तभी स्त्री पुरुष किसान हो गए थे
जब लोग सीख रहे थे
धर्म की बोआई करना
ताल पत्रों के सीने पर
उस से बहुत पहले …
पहला पुरुष और पहली स्त्री
जान गये थे पेट के भूख को
और सीख गया था पुरुष
स्त्री से प्रेम करना और
स्त्री के माटी में प्रेम बोना
स्त्री ने पुरुष के प्रेम को जन्म दिया
स्त्री ने और स्त्रियों और पुरुषों को जन्म दीया
बिल्कुल सभ्यता के सूरुआत में ही
दोनों सीख गए थे
अपना और अपने प्रेम से जन्में संतानों
के भूख को मिटाना
और रक्षा करना अपनी संत्तियो का
उनके कंठ से तब नहीं गिरा था कोई बीज मंत्र
नहीं जुड़े थे हाॅंथ किसी देवता के सामने
उनका हाॅंथ बढ़ा था औजार बनाने के लिए
उनका हाॅंथ बढ़ा था शिकार करने के लिए
पत्थरों के सीने से आग निकालने और
आग को सहेजने के लिए
भूख से लडने के लिए
तब देवता नहीं जन्में थे
जब भूख ने सीखा दिया था
मनुष्य को धरती का सीना फाड़ कर
बीज बोना और अन्न उपजाना
जब देवता अस्तित्व में नहीं आए थे
तभी स्त्री पुरुष किसान हो गए थे
सीख गए थे भूख से लड़ना
और एक दूसरे से प्रेम करना
घृणा और देवता का जन्म
बहुत बाद में हुआ था
बहुत बाद में लोगों ने सीखा घृणा करना
और जोड़ना हाॅंथ देवताओं के सामने
जिसके तुरन्त बाद सीख गए थे वो
पाप और पुण्य में लोगों को उलझना
~ सिद्धार्थ